न गुरोरधिकं तत्त्वं न गुरोरधिकं तप: ।
तत्त्वज्ञानात्परं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नम: ॥
अर्थ है … मैं अपने उस गुरू को प्रणाम करता हूँ जिससे अधिक कोई दूसरा सत्य नहीं
हैं जिससे बड़ा कोई दूसरा तपस्वी नहीं एवं कोई भी ऐसा सत्य ज्ञान नहीं जो आपसे अधिक हो।
स्व॰ रघुनाथ सिंह
स्व॰ शिवनंदन भगत
अनिरुद्ध सिंह
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर ।
गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: ॥
अर्थ है … गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है.
गुरु ही साक्षात परब्रह्म है. ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं.।